भारत राष्ट्रीय परिवार का उद्देश्य ‘जन’ को समाज की विशुद्ध चेतन इकाई ‘जन’ को राष्ट्र-स्फुलिंग के रूप में संयोजित करते हुए व्यक्ति और राज्य के बीच एक सेतु तैयार करना है। यदि एक पंक्ति में कहा जाए तो ‘अपरिग्रह’ के भाव पुष्पों से ‘समाज-ब्रह्म’ की उपासना ही भारत राष्ट्रीय परिवार की मूल भावना है।
भारत राष्ट्रीय परिवार एक संकल्पना है जिसकी पृष्ठभूमि में वह अनोखा और अद्भुत राजदर्शन है जो ‘ऋत’ पर आधारित है। ‘ऋत’ से तात्पर्य उन सार्वभौम वैश्विक नियमों से है जिन पर ब्रह्माण्डीय कार्यप्रणाली आलंबित है।
भारत राष्ट्रीय परिवार के मार्गदर्शी सिद्धान्त के रूप में प्रतिपादित समदर्शिता, संपूरकता, समग्रता और न्यायपूर्ण संवितरण के सिद्धांतों पर आधारित एवं ‘यथा पिण्डे तथा ब्रह्माण्डे’ सूत्र के अनुसार अनुकूलित अपरिग्रह-यज्ञ-क्रांति, भारत राष्ट्रीय परिवार की संकल्पना को साकार करने की दिशा में तत्पर सामाजिक अभियांत्रिकी है.
यदि एक पंक्ति में कहा जाए तो ‘अपरिग्रह’ के भाव पुष्पों से ‘समाज-ब्रह्म’ की उपासना ही भारत राष्ट्रीय परिवार की मूल भावना है।