भारत राष्ट्रीय परिवार
भारत राष्ट्रीय परिवार एक संकल्पना है जिसकी पृष्ठभूमि में वह अनोखा और अद्भुत राजदर्शन है जो ‘ऋत’ पर आधारित है। ‘ऋत’ से तात्पर्य उन सार्वभौम वैश्विक नियमों से है जिन पर ब्रह्माण्डीय कार्यप्रणाली आलंबित है।
भारत राष्ट्रीय परिवार के मार्गदर्शी सिद्धान्त के रूप में प्रतिपादित समदर्शिता, संपूरकता, समग्रता और न्यायपूर्ण संवितरण के सिद्धांतों पर आधारित एवं ‘यथा पिण्डे तथा ब्रह्माण्डे’ सूत्र के अनुसार अनुकूलित अपरिग्रह-यज्ञ-क्रांति, भारत राष्ट्रीय परिवार की संकल्पना को साकार करने की दिशा में तत्पर सामाजिक अभियांत्रिकी है.
यदि एक पंक्ति में कहा जाए तो ‘अपरिग्रह’ के भाव पुष्पों से ‘समाज-ब्रह्म’ की उपासना ही भारत राष्ट्रीय परिवार की मूल भावना है।
भारत राष्ट्रीय परिवार के मार्गदर्शी सिद्धांत
समदर्शिता
संपूरकता
समग्रता
समाधानमूलक न्यायपूर्ण संवितरण
किसी भी समाज में सामूहिक परिश्रम के प्रतिफल का परस्पर संवितरण यदि अन्यायपूर्ण होता है तो वह समाज दुख और अपराध के बोझ से आक्रान्त हो जाता है। समाधान-मूलक न्यायपूर्ण संवितरण का सिद्धांत सृष्टि की त्रिगुणात्मिका प्रकृति (इच्छा, ज्ञान और क्रिया) की कार्यप्रणाली के आधार पर उपर्युक्त प्रश्न का तर्कपूर्ण समुचित उत्तर प्रस्तुत करता है। सामाजार्थिक दृष्टि से भारत राष्ट्रीय परिवार की यह मौलिक खोज है।