भारत राष्ट्रीय परिवार का ऊर्ध्वगामी संधि प्रस्तार
भारत राष्ट्रीय परिवार की संधि इकाईयों में के रूप में राष्ट्र निर्माण हेतु संकल्पित कोई व्यक्ति अथवा व्यक्तियों का समूह प्रवेश पा सकता है। किसी परिमित परिमित भौगोलिक क्षेत्र के निवासी जब संधियों का गठन करेंगे तो वे प्रत्यक्ष संधियाँ कहलाएंगी। वर्चुअल माध्यमों से जुड़े व्यक्ति भी भारत राष्ट्रीय परिवार की आभासी संधियों का गठन कर सकेंगे।
प्रबुद्ध मण्डल (सप्ताश्व सभा)
उपर्युक्त के अतिरिक्त, ऐसे सर्वभूतहितेरत: राष्ट्रसेवी व्यक्तियों का वर्ग भी होगा जो जिनका वैचारिक रूप से भारत राष्ट्रीय परिवार की गतिविधियों का समर्थन करते हों और निरंतर कटिबद्ध रहकर भारत राष्ट्रीय परिवार को वैचारिक, मानसिक और आत्मिक संबल प्रदान करते हों। ऐसे व्यक्ति भारत राष्ट्रीय परिवार के प्रबुद्ध मण्डल (सप्ताश्व सभा) में सम्मिलित होंगे।
संधि इकाई गठन संबंधी नियम
भारत राष्ट्रीय परिवार की औपचारिक संधि इकाई के रूप में मान्यता प्राप्त करने हेतु समूह में न्यूनतम 12 सदस्यों का होना आवश्यक है जिनकी अधिकतम सदस्य संख्या 108 हो सकती है। किन्हीं दो आधारभूत संधियों के बीच सदस्यों का स्थानान्तरण दोनों संधियों की कार्यकारिणी की परस्पर सहमति से सम्भव होगा।
लोकमित्रों का निर्वाचन
संधि इकाईयों द्वारा लोकमित्रों का चयन जन-प्रतिरूपण एवं प्रतिक्षेप प्रणाली द्वारा किया जाएगा। जन-प्रतिरूपण एवं प्रतिक्षेप प्रणाली का उद्देश्य किसी समूह में सूक्ष्म रूप से उपस्थित समाज-पुरुष को प्रतिबिंबित करना है। मानव शरीर को सृजन का आदर्श-प्रतिरूप मान कर इस प्रणाली को विकसित किया गया है। इस पद्धति का लाभ यह है कि शरीर मे उपस्थित सूक्ष्म-चक्रों के अनुरूप कार्यकारिणी हमें प्राप्त होती है जो सूक्ष्म-चक्रों के अनुरूप निरंतर कार्यशील रहकर समाज-पुरुष को स्वस्थ रखती है, समाज के अनुकूल प्रवृत्तियों का मार्ग प्रशस्त करती है और प्रतिकूल प्रवृत्तियों को अवसर्जित करती है।
इस प्रणाली के अंतर्गत लोकमित्रों के निर्वाचन हेतु संधि का प्रत्येक सदस्य प्राथमिकता क्रम में 10 योग्य व्यक्तियों की सूची तैयार करेगा। इन मतपत्र-सूचियों के समाकलन से प्राथमिकता क्रम से 10 व्यक्तियों का चयन लोकमित्र के रूप में किया जाएगा और उसके लोकबल गुणांक (कुल प्रक्षिप्त मतों के सापेक्ष अर्जित मतों का प्रतिशत) उसके नाम के सम्मुख किया जाएगा। आधारभूत संधि इकाई के सदस्यों का मत-मूल्य 1 होगा
सर्वोच्च प्राथमिकता के लोकमित्र अपनी संधि से उत्सर्जित होकर क्रमशः ऊपर की संधियों का गठन करेंगे। ऊपर की संधि-इकाईयों में मत-मूल्य की गणना सदस्य-लोकमित्र के लोकबल गुणांक के आधार पर की जाएगी।
सर्वोच्च स्तर की संधि भारत राष्ट्रीय परिवार की राष्ट्रीय इकाई कहलाएगी।
समाज पुरुष
राष्ट्रीय नीति नियामक एवं प्रवर्तन तंत्र
भारत राष्ट्रीय परिवार की राष्ट्रीय इकाई द्वारा राष्ट्रीय नीति-निर्माण एवं प्रवर्तन मण्डल हेतु सुयोग्य एवं उपयुक्त व्यक्तियों का चयन/मनोनयन प्रबुद्ध मण्डल (सप्ताश्व सभा) में से किया जाएगा। राष्ट्रीय नीति नियामक एवं प्रवर्तन मण्डल राष्ट्र-निर्माण के विविध आयामों को दृष्टि में रखते हुए नीतियाँ तैयार करेगा और भारत राष्ट्रीय परिवार की राष्ट्रीय इकाई का अनुमोदन प्राप्त करने के उपरांत उनका प्रवर्तन करेगा।
राष्ट्रीय नीति नियामक एवं प्रवर्तन मंडल के अधीन सुयोग्य व्यक्तियों का एक तंत्र होगा जिसका विस्तार भारत राष्ट्रीय परिवार की प्रत्येक आधारभूत संधि तक होगा। प्रत्येक स्तर पर राष्ट्र-निर्माण की भूमिका का निर्वहन दोनों समानांतर और संपूरक तंत्र (निर्वाचित संधि इकाइयाँ और राष्ट्रीय नीति नियामक एवं प्रवर्तन तंत्र की स्थानीय इकाइयाँ) परस्पर मेलजोल के साथ करेंगे।
मत-पुनरीक्षण प्रणाली
आधारभूत संधि के निर्वाचकमंडल के सदस्य को अधिकार होगा कि वे अपनी इच्छानुकूल पूर्व मतपत्र-सूची का पुनरीक्षण कर सकें। वे पूर्व-इंगित प्राथमिकता-क्रम में संशोधन कर सकता है अथवा उसमें मतपत्र-सूची में नए नाम जोड़कर सकेंगे अथवा हटा सकेंगे। शर्त केवल इतनी होगी कि ऐसे दो मतपुनरीक्षणों के मध्य 120 दिन का अन्तराल अवश्य हो।
आधारभूत संधि के अतिरिक्त अन्य उच्चतर संधियों के निर्वाचकमंडल के सदस्य भी उपर्युक्त रीति से एवं निर्धारित शर्तों के अनुरूप अपनी पूर्व मतसूची का पुनरीक्षण कर सकेंगे किन्तु उन्हें अपनी अधोरेखीय आधार-संधियों को दो-तिहाई बहुमत से विश्वास में लेना आवश्यक होगा।
पुनरीक्षित मतसूचियों का समाकलन कार प्रतिसप्ताह गुरुवार को उसके परिणाम की घोषणा की जाएगी। पुनरीक्षण के फलस्वरूप ऊर्ध्व-रेखीय संधियाँ प्रभावित होंगी। लोकमित्रों के लोकबल-गुणांकों मे परिवर्तन होगा। कुछ लोकमित्रों को नए लोकमित्र प्रस्थापित करेंगे। मत-पुनरीक्षण प्रणाली का उद्देश्य लोकमित्रों को निरंकुश होने से रोकना है। लोकबल-गुणांकों का विचलन लोकमित्रों को आत्मानुवीक्षण हेतु प्रेरित भी करेगा।
मत-पुनरीक्षण प्रणाली को संचालित करने हेतु राष्ट्रीय नीति नियामक एवं मार्गदर्शक मंडल द्वारा एक विभाग सृजित किया जाएगा जो स्वचालित, पारदर्शी एवं स्वतन्त्र मत-पुनरीक्षण प्रणाली के संचालन हेतु एवं लोकमित्रों के अविलंब प्रस्थापन हेतु उत्तरदायी होगा।
समग्र वित्तीय अनुशासन
भारत राष्ट्रीय परिवार का समग्र वित्तीय अनुशासन क्षैतिज-रेखीय और ऊर्ध्व-रेखीय तल पर समान रूप से कार्य करेगा। क्षैतिज-रेखीय वित्तीय अनुशासन समाधान-मूलक न्यायपूर्ण संवितरण के सिद्धांत पर कार्य करेगा। ऊर्ध्व-रेखीय वित्तीय अनुशासन अपरिग्रह के सिद्धांत पर कार्य करेगा।
भारत राष्ट्रीय परिवार द्वारा संचालित समस्त आर्थिक गतिविधियाँ न्यायपूर्ण संवितरण के नैसर्गिक सिद्धान्त का यथासम्भव पालन करेंगी। न्यायपूर्ण संवितरण का सिद्धांत के अनुसार एक स्वस्थ समाज में त्रिगुणात्मक प्रकृति के अंतर्गत संचालित समस्त मानवीय क्रियाकलापों का प्रतिफल इच्छा, ज्ञान एवं क्रिया के त्रिकोण द्वारा आच्छादित क्षेत्रफल के अनुपात में बाँटा जाना चाहिए। इस सिद्धांत के अंतर्गत समाज में संचालित प्रत्येक आर्थिक उपक्रम का लाभांश नौ हिस्सों मे बाँट कर उसका पाँचवाँ हिस्सा कर्मकार समूह में, तीसरा हिस्सा अनुदेशक समूह में और एक हिस्सा निर्देशक समूह में वितरित किया जाना चाहिए।
भारत राष्ट्रीय परिवार की आधारभूत संधि इकाइयाँ परस्पर सहमति से अपनी संधि के सदस्यों के लिए वार्षिक अंशदान का निर्धारण करेंगी। आधारभूत संधि-इकाई द्वारा इस प्रकार एकत्र अंशदान का 1/10 भाग अपने से उच्चस्तर की संधि-इकाई को आभार-राशि के रूप में प्रदान करने के उपरान्त 9/10 भाग का उपयोग अपनी संधि के आर्थिक क्रियाकलापों हेतु किया जायेगा। उच्चस्तर की संधियाँ अपनी आधार-संधि से प्राप्त आभार-राशि का 1/10 भाग अपने से उच्चस्तर की संधि-इकाई का आभार-राशि के रूप में प्रदान करेंगी। तत्पश्चात् शेष 9/10 भाग के 1/9 भाग का उपयोग अपनी संधि के प्रशासनिक कार्यों में और 8/9 भाग का वितरण अधोरेखीय आधार-संधियों के सामूहिक हित को ध्यान में रखकर किया जायेगा। भारत राष्ट्रीय परिवार के सदस्यों द्वारा व्यक्तिगत अथवा सामूहिक रूप से संचालित आर्थिक प्रकल्पों में लाभांश का संवितरण न्यायपूर्ण संवितरण के सिद्धान्त का पालन करते हुए किया जायेगा। अर्थात्, शीर्ष प्रबन्धन, मध्य प्रबन्धन और कामगरों के बीच लाभांश का वितरण क्रमश: 1/9, 3/9 और 5/9 के अनुपात में किया जायेगा।
प्रत्येक व्यक्ति द्वारा स्वोपार्जित वार्षिक सकल आय का 1/10 आभार-राशि के रूप में अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के कोष में जमा किया जायेगा जिसका निवेश राष्ट्रीय इकाई द्वारा राष्ट्र के सामूहिक हित को ध्यान में रख कर किया जायेगा।
यदि किसी सदस्य द्वारा अर्जित की गयी व्यक्तिगत आय राष्ट्रीय औसत के 10 गुने से अधिक हो जाती है, तो वह उस अतिरिक्त आय को राष्ट्रीय इकाई के कोष में आभार-राशि के रूप में जमा करा देगा जिसका निवेश राष्ट्रीय इकाई द्वारा राष्ट्र के सामूहिक हित को ध्यान में रख कर किया जायेगा।
संधि-इकाइयों का सतत मूल्यांकन एवं विधायन
राष्ट्रीय नीति नियामक एवं मार्गदर्शक मंडल द्वारा भारत राष्ट्रीय परिवार के प्रत्येक संधि-इकाई के सतत मूल्यांकन की अत्यन्त व्यापक प्रक्रिया का संचालन किया जायेगा। यह प्रयास किया जायेगा कि समाज की कोई भी सत्प्रवृत्ति मूल्यांकन से छूट न जाए और कोई भी दुष्प्रवृत्ति अनदेखी न रह जाए। किसी भी व्यक्ति की असाधारण उपलब्धि उसके साथ-साथ उसकी संधि-इकाई के मूल्यांकन को समृद्ध करेगी और इसके विपरीत उसका हीन-कृत्य भी उसकी संधि-इकाई पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। समाजहित एवं वैश्विकहित के प्रत्येक कार्य को प्रोत्साहित और समाजविरोधी एवं विश्व-विरोधी प्रत्येक कार्य को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से मूल्यांकन प्रक्रिया को अत्यन्त सूक्ष्म और संवेदनशील बनाया जायेगा।
मूल्यांकन के आधार पर पुरस्कार एवं दण्ड की व्यवस्था के लिए भारत राष्ट्रीय परिवार की राष्ट्रीय इकाई द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर अथवा राष्ट्रीय नीति नियामक एवं मार्गदर्शक मंडल द्वारा प्राप्त सुझावों के आधार पर विधायन किया जाएगा, किन्तु, ऐसा कोई भी विधायन आधार-संधियों से 2/3 बहुमत प्राप्त कर लेने के पश्चात् ही प्रवृत्त होगा। प्रत्येक विधायन को भारत राष्ट्रीय परिवार के मार्गदर्शी सिद्धान्तों की कसौटी पर प्रत्येक स्तर पर, प्रत्येक दृष्टिकोण से कसा जायेगा जिससे उसकी उपादेयता में कोई शंका न रह जाए। दण्ड विधायन में भी उपर्युक्त मार्गदर्शी सिद्धान्तों का अनुशीलन किया जायेगा। दण्ड की मात्रा का निर्धारण पाप और प्रायश्चित्त के सिद्धान्त के अनुरूप किया जायेगा जिसमें सम्बन्धित संधि-प्रमुख की संस्तुति को यथोचित महत्व दिया जायेगा।
पुरस्कार विधायन हेतु राष्ट्रीय इकाई द्वारा मूल्यांकन के अनुरूप श्रेणीगत सुविधाऍं निर्धारित की जायेंगी जिससे सफल व्यक्ति लाभान्वित होंगे। आधारभूत संधि-इकाई के अन्तर्गत अथवा समपार्श्विक संधि-इकाईयों के मध्य किसी विवाद के जन्म लेने पर पंच-पद्धति से न्यायिक निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकेगा। इस सम्बन्ध में तत्व-विवेचना हेतु राष्ट्रीय नीति नियामक एवं मार्गदर्शक मंडल की स्थानीय इकाई की सेवा भी प्राप्त की जा सकती है। विवाद का शमन न होने पर राष्ट्रीय नीति नियामक एवं मार्गदर्शक मंडल की उच्चतर इकाईयॉं विवाद को तात्विक विवेचन के आधार पर सुलझाएंगी। अंतत: भारत राष्ट्रीय परिवार की राष्ट्रीय इकाई का पंच निर्णय इस सम्बन्ध में अन्तिम होगा।
संधि कार्यकारिणी का गठन एवं कार्य
संधि प्रमुख- प्रथम वरीयता क्रम पर निर्वाचित लोकमित्र संधि का संधि-प्रमुख होगा। संधि प्रमुख संधि का संरक्षक होने के साथ ही उच्चतर संधि के निर्वाचक मंडल का सदस्य भी होगा। संधि का संधि प्रमुख सदैव पंचम वरीयता क्रम पर निर्वाचित लोकमित्र अर्थात् वित्त नियन्त्रक के साथ संवाद में रहेगा। संधि के मूल्यांकन फलक के विकास में दोनों सम्मिलित रूप से योगदान करेंगे।
मुख्य नियन्त्रक- द्वितीय वरीयता क्रम पर निर्वाचित लोकमित्र संधि का मुख्य नियन्त्रक होगा। मुख्य नियन्त्रक संधि का सभापति, नियन्त्रक और न्यायवादी होगा। संधि का मुख्य नियन्त्रक सदैव अष्टम वरीयता क्रम पर निर्वाचित लोकमित्र अर्थात् वित्त नियन्त्रक के साथ संवाद में रहेगा। संधि के मूल्यांकन फलक के विकास में दोनों सम्मिलित रूप से योगदान करेंगे।
नीति नियामक- तृतीय वरीयता क्रम पर निर्वाचित लोकमित्र संधि का नीति नियामक होगा। नीति नियामक द्वारा संधि के नियमन के साथ ही अधीक्षक की भूमिका का निर्वाह भी किया जाएगा। संधि का नीति नियामक सदैव सप्तम वरीयता क्रम पर निर्वाचित लोकमित्र अर्थात् प्रवर्धक के साथ संवाद में रहेगा। संधि के उद्यम विकास फलक के विकास में दोनों सम्मिलित रूप से योगदान करेंगे।
प्रबोधक- चतुर्थ वरीयता क्रम पर निर्वाचित लोकमित्र संधि का प्रबोधक होगा। प्रबोधक का दायित्व संधिगत संस्कारों को पुष्ट और समुन्नत बनाना होगा। संधि का प्रबोधक सदैव षष्ठम वरीयता क्रम पर निर्वाचित लोकमित्र अर्थात् सचेतक के साथ संवाद में रहेगा। संधि के स्वाध्याय फलक के विकास में दोनों सम्मिलित रूप से योगदान करेंगे।
समन्वयक- पंचम वरीयता क्रम पर निर्वाचित लोकमित्र संधि का समन्वयक होगा। संधि की कार्यप्रणाली में समन्वयक की केन्द्रीय भूमिका होगी। संधि के प्रत्येक सदस्य से सतत संवाद स्थापित करने हेतु संधि के समन्वयक द्वारा अग्रणी भूमिका का निर्वाह किया जायेगा। समन्वयक अपनी संधि के संधि प्रमुख के साथ सदैव संवाद में रहेगा।
सचेतक- षष्ठम वरीयता क्रम पर निर्वाचित लोकमित्र संधि का सचेतक होगा। सचेतक द्वारा संधि की समस्त गतिविधियों पर सर्तकतापूर्वक दृष्टि रखी जाएगी। संधि के सुरक्षा प्रभारी के रूप में सचेतक की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। सचेतक अपनी संधि के प्रबोधक के साथ सदैव संवाद में रहेगा।
प्रवर्धक- सप्तम वरीयता क्रम पर निर्वाचित लोकमित्र संधि का प्रवर्धक होगा। प्रवर्धक का दायित्व संधि का औद्योगिक नेतृत्व करना होगा। प्रवर्धक अपनी संधि के नीति नियामक के साथ सदैव संवाद में रहेगा।
वित्त नियन्त्रक- अष्टम वरीयता क्रम पर निर्वाचित लोकमित्र संधि का वित्त नियन्त्रक होगा। संधि के वित्त नियन्त्रक के रूप वह संधि की वित्तीय योजनाओं एवं कोष का प्रभारी होगा। वित्त नियन्त्रक अपनी संधि के मुख्य नियन्त्रक के साथ सदैव संवाद में रहेगा।
अनुशासक- नवम वरीयता क्रम पर निर्वाचित लोकमित्र संधि का अनुशासक होगा। संधि के अनुशासक के रूप में वह सदैव सतर्क रह कर संधि के सदस्यों के गरिमापूर्ण आचरण की समीक्षा करेगा। संधि का अनुशासक सदैव दशम वरीयता क्रम पर निर्वाचित लोकमित्र अर्थात् संवाहक के साथ संवाद में रहेगा। संधि के जनसंचार फलक के विकास में दोनों सम्मिलित रूप से योगदान करेंगे।
संवाहक- दशम वरीयता क्रम पर निर्वाचित लोकमित्र संधि का संवाहक होगा। संवाहक के रूप में उसके द्वारा जनसंचार एवं नयी संधियों के गठन हेतु आवश्यक कदम उठाया जाएगा। संवाहक अपनी संधि के अनुशासक के साथ सदैव संवाद में रहेगा।
संधि कार्यकारिणियों के पंच-फलक
1. स्वाध्याय फलक
संधि के स्वाध्याय फलक के विकास में संधि के प्रबोधक और सचेतक की अत्यन्त गरिमापूर्ण भूमिका होगी। संधि की आन्तरिक स्थिरता और मनोबल बनाए रखने में इस फलक की भूमिका सदैव महनीय होगी। अतएव संधि कार्यकारिणी के प्रबोधक और सचेतक इस दिशा में सदैव प्रयासरत रहेंगे।
2. उद्यम विकास फलक
संधि के नीति-नियमन और औद्योगिक विकास हेतु इस फलक की भूमिका होगी। यह सेतु अपनी स्वस्थ कार्यप्रणाली के लिए संधि कार्यकारिणी के नीति नियामक एवं प्रवर्धक पर निर्भर होगा। अतएव संधि कार्यकारिणी के नीति नियामक एवं प्रवर्धक सदैव संवाद में रहकर उद्यम विकास फलक को प्रखर एवं प्रगतिशील बनाने की दिशा में प्रयासरत रहेंगे।
3. मूल्यांकन फलक
संधि
क्रियाकलापों के प्रेरणा एवं मूल्यांकन में इस फलक की भूमिका होगी। यह सेतु अपनी स्वस्थ कार्यप्रणाली के लिए संधि कार्यकारिणी के मुख्य नियन्त्रक एवं वित्त नियन्त्रक पर निर्भर होगा। अतएव संधि कार्यकारिणी के मुख्य नियन्त्रक एवं वित्त नियन्त्रक सदैव संवाद में रहकर मूल्यांक फलक को प्रभावी बनाने की दिशा में प्रयासरत रहेंगे।
4. बहिरंग फलक
नयी संधियों के गठन एवं जनसंचार गतिविधियों के निर्वहन में इस फलक की अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस फलक को गति देने में संधि के अनुशासक एवं संवाहक की सम्मिलित भूमिका होगी।
5. अंतरंग फलक
प्रत्येक संधि को अपने समानान्तर एवं ऊर्ध्वाधर संधि इकाइयों से निरन्तर संवाद की कड़ी में जोड़े रखने में इस फलक की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस सेतु का सफल संचालन ही अंतत: भारत राष्ट्रीय परिवार के उत्तरोत्तर विकास का पथ प्रशस्त करेगा। इस फलक को विकसित करने हेतु संधि प्रमुख और समन्वयक सदैव संवाद बनाए रखेंगे।
संधि गतिविधियाँ
भारत राष्ट्रीय परिवार की प्रत्येक स्तर की संधि इकाइयाँ, आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर, सामाजिक रूप से उत्तरदायी एवं राजनीतिक रूप से सजग इकाइयाँ होंगी। भारत राष्ट्रीय परिवार की राष्ट्रीय इकाई की प्रेरणा और राष्ट्रीय नीति नियामक एवं मार्गदर्शक मंडल के मार्गदर्शन में यह इकाइयाँ राष्ट्र निर्माण के क्षेत्र में अनवरत कार्य करेंगी। यह इकाइयाँ अपने परिमित क्षेत्र में भारत राष्ट्रीय परिवार के मूल सिद्धान्तों के आलोक में स्वतन्त्र निर्णय ले सकेंगी। प्रारम्भिक तौर पर प्रस्तावित सामान्य क्रियाकलापों की सूची अधोलिखित है। भारत राष्ट्रीय परिवार की संधि इकाइयाँ अपनी रुचि के अनुसार परिशिष्ट-'ब' में उद्धृत क्रियाकलापों में से किसी एक को अथवा अधिक को प्रतिनिधि क्रियाकलाप के रूप में भी चुन सकती हैं। संधि इकाइयों द्वारा क्रियाकलापों के क्रियान्वयन में भारत राष्ट्रीय परिवार द्वारा निर्धारित प्रत्येक अनुशासन का पालन अनिवार्य होगा जिसे सुनिश्चित करने हेतु संधि कार्यकारिणी के सदस्य परस्पर संवाद में रहकर हर परिस्थिति में उत्तरदायी होंगे।
भारत राष्ट्रीय परिवार की प्रत्येक संधि-कार्यकारिणी संधि के पंच-फलकों के विकास पर बल देते हुए अपनी संधि के सदस्यों की समुन्नति एवं परस्पर सामूहिक उद्देश्यों की पूर्ति की दिशा में अग्रसर होगी। इस प्रकार भारत राष्ट्रीय परिवार की सभी ऊर्ध्वाधर एवं समानान्तर संधि-इकाइयाँ परस्पर एक सूत्र मे गुँथ कर पंच-आयामी विकास को चरितार्थ करेंगी और उनकी व्यष्टिगत उपलब्धियाँ, समग्र राष्ट्रीय उपलब्धि के रूप में फलीभूत होंगी।