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भारत राष्ट्रीय परिवार

भारत राष्ट्रीय परिवार का उद्देश्य ‘जन’ को समाज की विशुद्ध चेतन इकाई ‘जन’ को राष्ट्र-स्फुलिंग के रूप में संयोजित करते हुए व्यक्ति और राज्य के बीच एक सेतु तैयार करना है। यदि एक पंक्ति में कहा जाए तो ‘अपरिग्रह’ के भाव पुष्पों से ‘समाज-ब्रह्म’ की उपासना ही भारत राष्ट्रीय परिवार की मूल भावना है।

सप्ताश्व सभा

SAPTASHVA- Spriritual Assembly Preparing for Transparent Attitude Selfhood Harmony and Vestal Awareness अर्थात मन के तल पर पारदर्शिता, बुद्धि के तल पर आत्मस्थता, चित्त के तल  पर अनुरूपता एवं अस्तित्व के तल पर निर्मल अभिज्ञान हेतु आध्यात्मिक सभा और भारत राष्ट्रीय परिवार का प्रबुद्ध-मण्डल

विसर्ग न्यास

VISARG is entrusted for socio-political restructuring of society leading towards a divine polity; seedling life-seed of Aparigrah through Spiritual Assembly Preparing for Transparent Attitude, Selfhood, Harmony and Vestal Awareness.

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भारत राष्ट्रीय परिवार

भारत राष्ट्रीय परिवार एक संकल्पना है जिसकी पृष्ठभूमि में वह अनोखा और अद्भुत राजदर्शन है जो ‘ऋत’ पर आधारित है। ‘ऋत’ से तात्पर्य उन सार्वभौम वैश्विक नियमों से है जिन पर ब्रह्माण्डीय कार्यप्रणाली आलंबित है। भारत राष्ट्रीय परिवार के मार्गदर्शी सिद्धान्त के रूप में प्रतिपादित समदर्शिता, संपूरकता, समग्रता और न्यायपूर्ण संवितरण के सिद्धांतों पर आधारित एवं ‘यथा पिण्डे तथा ब्रह्माण्डे’ सूत्र के अनुसार अनुकूलित अपरिग्रह-यज्ञ-क्रांति, भारत राष्ट्रीय परिवार की संकल्पना को साकार करने की दिशा में तत्पर सामाजिक अभियांत्रिकी है. यदि एक पंक्ति में कहा जाए तो ‘अपरिग्रह’ के भाव पुष्पों से ‘समाज-ब्रह्म’ की उपासना ही भारत राष्ट्रीय परिवार की मूल भावना है।

भारत राष्ट्रीय परिवार के मार्गदर्शी सिद्धांत

समदर्शिता

संपूरकता

समग्रता

समाधानमूलक न्यायपूर्ण संवितरण

किसी भी समाज में सामूहिक परिश्रम के प्रतिफल का परस्पर संवितरण यदि अन्यायपूर्ण होता है तो वह समाज दुख और अपराध के बोझ से आक्रान्त हो जाता है। समाधान-मूलक न्यायपूर्ण संवितरण का सिद्धांत सृष्टि की त्रिगुणात्मिका प्रकृति (इच्छा, ज्ञान और क्रिया) की कार्यप्रणाली के आधार पर उपर्युक्त प्रश्न का तर्कपूर्ण समुचित उत्तर प्रस्तुत करता है। सामाजार्थिक दृष्टि से भारत राष्ट्रीय परिवार की यह मौलिक खोज है।

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